हाइपोवेंटिलेशन के कारण – Hypoventilation Causes in Hindi
ऐसी कई स्वास्थ्य समस्याए हैं, जो ब्रीदिंग रेट को प्रभावित करती हैं. जब भी ऐसा होता है, तो फेफड़े पूरी तरह से वेंटीलेट नहीं हो पाते. ये स्थिति हाइपोवेंटिलेशन का कारण बनती हैं. इन हेल्थ कंडीशंस में शामिल हैं न्यूरोमस्कुलर डिसऑर्डर, मोटापा, ब्रेन इंजरी, स्लीप एपनिया और कुछ दवाएं इत्यादि. आइए, हाइपोवेंटिलेशन के कारणों के बारे में विस्तार से जानते हैं –
न्यूरोमस्कुलर डिसऑर्डर
जिन लोगों को न्यूरोमस्कुलर डिसऑर्डर होता है, वो रेस्पिरेटरी मसल्स कमजोर और खराब होने के कारण रैपिड और शैलो ब्रीदिंग पैटर्न डेवलप कर सकते हैं. हालांकि इस दौरान न्यूरोलॉजिकल ब्रीदिंग इम्पल्स रहती हैं. न्यूरोमस्कुलर डिसऑर्डर के दौरान नींद में वेंटिलेशन कम हो जाता है, खासकर आरईएम स्लीप (speedy eye motion sleep) के दौरान, इससे हाइपोवेंटिलेशन और बिगड़ जाता है.
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चेस्ट वॉल डिफॉर्मिटीज
काइफोस्कोलियोसिस (Kyphoscoliosis) और फाइब्रोथोरैक्स (Fibrothorax) जैसी चेस्ट वॉल डिफॉर्मिटीज से जूझ रहे लोगों को नॉर्मल रेस्पिरेशन रेट और लंग्स फंक्शन में समस्या आने लगती है, क्योंकि इस दौरान फिजिकल एक्टिविटीज कम होती हैं. ये स्थितियां हाइपोवेंटिलेशन का कारण बन सकती हैं.
मोटापा
मोटापे की समस्या से जूझ रहे लोगों को हाइपोवेंटिलेशन की समस्या हो सकती है, जिसे मेडिकल टर्म में ओबेसिटी-हाइपोवेंटिलेशन सिंड्रोम कहा जाता है. गर्दन, पेट और चेस्ट वॉल के आसपास वेट अधिक होने से बॉडी को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है. ये ब्रेन के ब्रीदिंग इम्पल्स को प्रभावित करता है. इस कारण ब्लड में कार्बन डाइऑक्साइड अधिक हो जाती है और ऑक्सीजन की मात्रा कम रहती है.
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ब्रेन इंजरी
ब्रेन इंजरी होने से ब्रेन के काम करने की क्षमताएं जैसे ब्रीदिंग को कंट्रोल करना, प्रभावित हो सकती हैं. ब्रेन इंजरी के बाद इंपेयर्ड ब्रेनस्टेम रिफ्लेक्सिस और कॉन्शसनेस हाइपोवेंटिलेशन का कारण बन सकता है.
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स्लीप एपनिया
जो लोग ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया से पीड़ित होते हैं, उन्हें सांस लेने में दिक्क्त हो सकती है, क्योंकि उनके एयरवेज ब्लॉक हो जाते हैं, जो हाइपोवेंटिलेशन का कारण बन सकते हैं. सेंट्रल स्लीप एपनिया से पीड़ित लोगों का एयरवेज ब्लॉक नहीं होता, लेकिन ब्रीदिंग के दौरान लॉन्ग पॉज आने लगते हैं या उनके फेफड़ों में अकड़न आ सकती है, जो हाइपोवेंटिलेशन का कारण बन सकती है.
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क्रोनिक लंग डिजीज
क्रोनिक लंग डिजीज जैसे क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज और सिस्टिक फाइब्रोसिस एयरवेज के ब्लॉक होने का कारण बनता है, जोकि गंभीर ऑब्सट्रक्शन और हाइपोवेंटिलेशन का कारण बन सकता है.
न्यूरोलॉजिकल डिजीज
न्यूरोलॉजिकल डिजीज जैसे ट्रॉमा, हेड इंजरी, टिश्यूज की एब्नॉर्मल ग्रोथ और सेरेब्रल वैस्कुलर एक्सिडेंट हाइपोवेंटिलेशन का कारण बन सकता है. इसे सेंट्रल ऐल्वीअलर हाइपोवेंटिलेशन (central alveolar hypoventilation) कहा जाता है, जो सेंट्रल नर्व्स सिस्टम के ब्रीदिंग फंक्शन को प्रभावित करता है.
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अमोनिया का अधिक स्तर
जेनेटिक प्रॉब्लम्स या लिवर डिजीज जैसे लिवर सिरोसिस लिवर के फंक्शन को डिस्टर्ब करते हैं. इससे ब्लड में अमोनिया लेवल बढ़ सकता है. इसे हाइपरमोनमिया कहा जाता है. यह रेस्पिरेशन को इफेक्ट करता है और रेस्पिरेटरी डिप्रेशन का कारण बनता है.
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दवाएं
कुछ मेडिसिन या पदार्थों की अधिक डोज लेने से भी रेस्पिरेटरी डिप्रेशन हो सकता है या इसके होने का खतरा रहता है. वहीं, कुछ दवाओं या पदार्थों के साइड इफेक्ट के कारण भी रेस्पिरेटरी डिप्रेशन होता है. कुछ ड्रग्स या पदार्थ ब्रेन फंक्शन को डिस्टर्ब करके और सेंट्रल नर्व्स सिस्टम को डिप्रेस कर देते हैं, जिससे रेस्पिरेटरी ड्राइव स्लो हो जाती है. इन दवाओं और पदार्थों में शामिल हैं –
- सीडेटिव (Sedatives)
- नारकोटिक्स (Narcotics)
- ओपियोड्स (Opioids)
- शराब (Alcohol)
- बार्बीचुरेट्स (Barbiturates)
- बेंजोडायजेपाइन (Benzodiazepines)
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