आयुर्वेद में किसी भी बीमारी का इलाज व्यक्ति की प्रकृति को ध्यान में रखकर किया जाता है. आयुर्वेदिक चिकित्सा वात, पित्त और कफ पर आधारित होती है. स्वस्थ रहने के लिए इन तीनों का संतुलित होना जरूरी होता है. जब शरीर में इनमें से कोई भी असंतुलित होता है, तो कई रोग जन्म लेने लगते हैं. इसलिए हर व्यक्ति के शरीर में वात, पित्त और कफ को हमेशा संतुलित रखने की कोशिश की जानी चाहिए. अगर वात रोग की बात की जाए, तो इसके असंतुलित होने पर शरीर में रूखापन महसूस होता है और त्वचा फीकी पड़ जाती है.
आज इस लेख में आप जानेंगे कि वात रोग क्या होता है और इसे कैसे संतुलित रखा जा सकता है –
(और पढ़ें – वात, पित्त व कफ असंतुलन के लक्षण)
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