“उसे इतनी जल्दी हार्ट अटैक कैसे आ सकता है? वो तो इतना फिट था.”
हाल फिलहाल में हार्ट अटैक से जुड़ी घटनाओं को देखकर हर कोई यही सवाल कर रहा है. एक समय था जब हार्ट अटैक को बड़े-बूढ़ों की बीमारी माना जाता था लेकिन आजकल 30-40 की उम्र वाले भी इसकी चपेट में आ रहे हैं. पिछले एक-दो सालों में कई नामी हस्तियों जैसे कि बिग बॉस के विनर सिद्धार्थ शुक्ला, प्लेबैक सिंगर केके या अभी पिछले ही हफ्ते कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव की अचानक हुई मौत ने लोगों को झकझोर दिया है.
लोगों के लिए यकीन करना मुश्किल हो रहा है कि अपनी हेल्थ और फिटनेस को लेकर इतना एलर्ट रहने वाले इन सेलिब्रिटीज को भी हार्ट अटैक आ सकता है. आमतौर पर लोगों में यह धारणा है कि नियमित वर्कआउट करने और अपने डाइट पर कंट्रोल रखने से दिल की बीमारियों से बचा जा सकता है. यह काफी हद तक सही भी है लेकिन मौजूदा दौर में हुई घटनाओं नें लोगों को फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया है. धीरे-धीरे अब लोग हार्ट अटैक के लक्षण और बचने के उपायों को लेकर जागरूक हो रहे हैं.
इस समय युवाओं में दिल के दौरे पड़ने के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं. WHO [1] के अनुसार, भारत में 40-69 साल के आयु वर्ग में होने वाली मौतों में से 45% मामले दिल की बीमारियों के होते हैं.
अध्ययनों [2] में यह भी पता चला कि, यूरोपीय लोगों की तुलना में भारतीयों को दिल की बीमारियाँ जीवन में कम से कम एक दशक पहले प्रभावित करती हैं. वास्तव में, दिल की बीमारियों की वजह से भारत में संभावित कामकाजी वर्षों (Productive life years) का सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है. कामकाजी वर्षों के नुकसान से जुड़े आंकड़ें बताते हैं कि साल 2000 में यह आंकड़ा 9.2 मिलियन साल का था जिसके 2030 तक दोगुना होकर 17.9 मिलियन साल होने की उम्मीद है. [3]
तो आखिर भारत की यंग जनरेशन हार्ट अटैक की शिकार क्यों हो रही है?
एक तो भारतीयों में हृदय रोग होने की आनुवांशिक प्रवृति [4] अधिक होती है। दूसरी चीज कि हमारे देश में युवाओं की लाइफस्टाइल में हो रहे बदलाव से टाइप-2 डायबिटीज, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और खराब कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियां बेहद तेजी से बढ़ रही हैं. ये बीमारियाँ हार्ट अटैक के खतरे को और बढ़ाती हैं.
लेकिन जो लोग देखने में फिट और यंग हैं उन्हें हार्ट अटैक क्यों हो रहा है?
तेजी से बदलती लाइफस्टाइल, रिलेशनशिप इश्यूज और गलत खानपान भी इसके लिए कुछ हद तक ज़िम्मेदार हैं. ऑफिस के काम को लेकर हद से अधिक स्ट्रेस, अपने डेली रूटीन का ख्याल ना रखना, बहुत कम सोना और जरूरत से ज्यादा शराब और सिगरेट पीने जैसी आदतें आपके दिल को बीमार करने का कारण बन सकती हैं.
क्या स्ट्रेस ही है हार्ट अटैक की मुख्य वजह?
पिछले कुछ सालों में काम करने के तौर-तरीके बहुत ज्यादा बदल गए हैं. अधिकांश युवा ऐसी जॉब्स करते हैं जहाँ कम्पटीशन बहुत ज्यादा रहता है. हर महीने मिलने वाले टार्गेट, कई घंटों तक लगातार काम का बोझ और रोज-रोज मिलने वाले नए चैलेंज से वे हमेशा गुस्से और टेंशन में रहते हैं.
वहीं इस बीच आई कोविड-19 महामारी [5] ने भी लोगों की ज़िंदगी में कई तरह की मुश्किलें बढ़ा दीं. कई लोगों ने इस महामारी में अपने करीबियों को खोया, कुछ की जॉब चली गई और कुछ तो खुद कई दिनों तक इस बीमारी की चपेट में रहे. इन कारणों से भी बड़े पैमाने पर लोगों का स्ट्रेस लेवल बढ़ा.
ये सब तो कारण हैं ही इसके अलावा सोशल मीडिया भी अपने तमाम फायदों के बावजूद, कई लोगों के लिए तनाव का मुख्य जरिया बन गया है। सोशल मीडिया पर लोगों की फैन फॉलोविंग या उनकी देश-विदेश की ट्रिप्स और महंगी लाइफस्टाइल से जुड़ी फोटोज देखकर लोग अंदर ही अंदर जलन महसूस करने लगते हैं. उनका ध्यान अपनी लाइफ से हटकर दूसरों की लाइफ में क्या हो रहा है इस पर शिफ्ट हो जाता है. उन्हें इस बात से चिढ होने लगती है कि वे अपनी लाइफ वैसे एंजॉय नहीं कर पा रहे हैं जैसे सोशल मीडिया पर उनके दोस्त कर रहे हैं. ये सब चीजें कहीं न कहीं आपका स्ट्रेस लेवल बढ़ाती हैं.
आपको बता दें कि जब आप बहुत तनाव में होते हैं तो शरीर में ‘कोर्टिसोल (Cortisol)’ नाम का स्ट्रेस हार्मोन रिलीज होता है. यह हार्मोन दिल में जाने वाले खून के प्रवाह को कम करता है, जिससे दिल को ज़रूरी ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं.
हालांकि इससे दिल को तुरंत तो कोई नहीं पहुंचता है, लेकिन लंबे समय तक तनाव से कोर्टिसोल का बढ़ा हुआ स्तर आपके शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल, ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर जैसी समस्याओं को बढ़ा सकता है. इन समस्याओं की वजह से धमनियों में प्लाक जमा होने लगता है जो कि अपने आप में हार्ट अटैक का एक कारण है.
इसलिए सबसे ज़रूरी यह है कि आप अपने स्ट्रेस लेवल को कम करें. स्ट्रेस कम करने के कई तरीके इस समय मौजूद हैं. आप किसी काउंसलर की मदद ले सकते हैं या किसी एक्सपर्ट की देखरेख में योग और ध्यान कर सकते हैं. सबसे पहले अपने डेली रूटीन में मल्टीटास्किंग की आदत को कम करें. अपने काम की प्राथमिकता तय करें और जो काम सबसे ज़रूरी हों वही काम करें.
अगर आपके पास काम करने का वक्त ना बचा हो तो किसी भी तरह के नए काम के लिए सामने वाले को बेझिझक मना कर दें. किसी संकट में हों तो अपने दोस्तों करीबियों से मदद मांगने में भी बिलकुल संकोच ना करें. याद रखें कि स्ट्रेस स्लो पॉइजन की तरह है इसलिए कभी भी इसे अपनी ज़िंदगी पर हावी ना होने दें.
नींद और हार्ट अटैक का आपस में है कनेक्शन
कई युवाओं की जॉब तो ऐसी होती है जिन्हें विदेशों में बैठे अपने क्लाइंट के साथ डील करना होता है. अलग-अलग टाइम जोन वाले लोगों के साथ काम करने से उनका अपना स्लीपिंग पैटर्न (सोने और जागने का चक्र) बिगड़ जाता है. वहीं ओटीटी प्लेटफार्म पर हर हफ्ते रिलीज होने वाली नई फ़िल्में और और सीरीज के क्रेज ने भी लोगों का सोना मुश्किल कर रखा है. आलम यह है जिस समय पर लोगों को भरपूर नींद लेनी चाहिए उस समय वे बिंज वाचिंग के नाम पर लगातार 6 से 8 घंटे लंबी सीरीज देख रहें है.
ये आदतें सेहत को धीरे-धीरे बड़ा नुकसान पहुंचाती हैं. नींद की कमी से शरीर में हार्मोन असंतुलित होने लगते हैं. इससे मोटापा, डायबिटीज, हाइपरटेंशन और दिल की बीमारियाँ जैसी समस्याएं होने लगती हैं जो हार्ट अटैक के खतरे को बढ़ाती हैं. हाल ही में हुए एक शोध [6] में पता चला कि जो लोग रात में 6 घंटे से कम सोते हैं उनमें हार्ट अटैक होने का खतरा 20% अधिक होता है.
आप क्या खा रहे हैं इस पर भी रखें नज़र
आजकल ऑनलाइन फूड आर्डर करना काफी चलन में है. युवाओं को लगता है कि इससे समय की बचत भी होती है और घर के बोरिंग खाने से छुट्टी मिलती है. टीवी और सोशल मीडिया पर कई सेलेब्रिटी द्वारा सॉफ्ट ड्रिंक्स और फास्ट-फूड के विज्ञापन भी इन आदतों को और बढ़ावा देती हैं.
जबकि सच्चाई यह है कि इन फास्ट फूड और पैकेज्ड ड्रिंक्स में रिफाइंड आटा, शुगर, नमक और प्रिजरवेटिव जैसी चीजें आवश्यकता से अधिक मात्रा में होती हैं. हफ्ते में कई दिन इन चीजों का सेवन करके आप दिल की बीमारियों को न्यौता दे रहे हैं. इसके अलावा भारत का जो पारंपरिक खानपान है उसमें शुरुआत से ही विटामिन डी [7] और ओमेगा-3 फैटी एसिड [8] की कमी है जबकि ये दिल की सेहत के लिए बेहद ज़रूरी माने जाते हैं.
इसलिए आप अपनी डाइट में ओमेगा फैटी एसिड से भरपूर चीजें जैसे कि मछली, अखरोट, अलसी के बीज और हरी सब्जियों को शामिल करें. साथ ही विटामिन डी के लिए रोजाना कुछ देर धूप में टहलें और विटामिन डी सप्लीमेंट लें.
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एक्सरसाइज : ना कम करें ना बहुत ज्यादा
अगर आप दिन भर घर में सोफे पर बैठे-बैठे आराम फरमा रहे हैं या ऑफिस में एक ही जगह बैठे घंटों काम कर रहे हैं तो ये दिल की सेहत के लिहाज से बिलकुल भी अच्छी आदतें नहीं है. काफी देर तक एक ही जगह बैठे रहने से परहेज करें बल्कि हर आधे-एक घंटे के अंतराल पर थोड़ी चहलकदमी करें. ऑफिस में किसी से फोन पर बात करना हो तो टहल कर बातें करें वहीं लिफ्ट की बजाय सीढ़ियों का प्रयोग करें.
यह सच है कि नियमित एक्सरसाइज करना दिल की सेहत के लिए अच्छा है लेकिन बिना डॉक्टर से सलाह लिए ज्यादा हैवी वर्कआउट करने वालों में दिल का दौरा पड़ने का खतरा तुरंत बढ़ जाता है. यह बात उन लोगों के लिए तो काफी हद तक सच है जिन्हें लाइफस्टाइल या आनुवांशिक कारणों की वजह से या हार्ट में किसी तरह के ब्लॉकेज की वजह से पहले से ही हार्ट अटैक होने का जोखिम अधिक है.
इसलिए हैवी वर्कआउट शुरू करने से पहले एक बार डॉक्टर से अपने दिल की जांच करवाएं और उनकी सलाह के आधार पर ही आगे बढ़ें.
अगर पहले से ही आपके परिवार में दिल के मरीज हैं तो क्या करें?
हार्ट अटैक होने के आनुवांशिक कारणों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. ये सच है कि अब आप अपना जीन या डीएनए (DNA) तो नहीं बदल सकते हैं लेकिन हार्ट अटैक के कुछ रिस्क फैक्टर को कम करना आपके हाथ में है.
बेहतर होगा कि साल में या दो साल में कम से कम एक बार कार्डियक स्क्रीनिंग से जुड़े टेस्ट जैसे कि ईसीजी, इकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram), स्ट्रेस टेस्ट, कार्डियक सीटी (Cardiac CT) या ट्राईग्लिसराइड (Triglycerides) और ब्लड शुगर टेस्ट, होमोसिस्टीन (Homocysteine) आदि टेस्ट ज़रूर करवाएं. अगर आपके परिवार में पहले से कुछ लोग दिल के मरीज हैं तो 30 की उम्र के बाद ही ये टेस्ट करवाना शुरू कर दें.
कब जाएं डॉक्टर के पास
हार्ट अटैक होने से कई दिन पहले से ही आपका शरीर कुछ शुरूआती संकेत देने लगता है. आइए पहले इन संकेतो के बारे में जानते हैं :
- सीने में भारीपन महसूस होना
- सीने में दर्द होना
- गले, जबड़े, पेट या कमर के ऊपरी हिस्से में दर्द होना
- सीने में खिंचाव या जलन महसूस होना
- किसी एक बांह या दोनों बांहों में दर्द होना
- सांस फूलना
कई बार युवाओं को जब इनमें से कोई लक्षण नजर आते हैं तो वे इस ग़लतफ़हमी में रहते हैं कि अभी तो उनकी हार्ट अटैक आने की उम्र ही नहीं है ये एसिडिटी या किसी और बीमारी के लक्षण हैं. हार्ट अटैक के लक्षणों को छिपाएं नहीं बल्कि कोई भी लक्षण बार-बार दिखे तो जाकर अपनी जांच कराएं.
अपने दिल की सेहत को अपने सेविंग अकाउंट की तरह समझें. जब भी आप पौष्टिक आहार लें रहे हैं, एक्सरसाइज कर रहे हैं या तनाव मुक्त जीवन जी रहे हैं तो इसका मतलब है कि आप अपनी लाइफ की क्वालिटी बढ़ाने में इन्वेस्ट कर रहे हैं. ये छोटे-छोटे बदलाव आपकी लाइफ से दिल की बीमारियों के खतरे को एकदम कम कर देंगी.
(इस लेख की समीक्षा डॉ. स्वाति मिश्रा, मेडिकल एडिटर ने की है.)
स्रोत :
1. Accessible on-line at https://www.who.int/india/health-topics/cardiovascular-diseases
2. Dorairaj Prabhakaran, Panniyammakal Jeemon and Ambuj Roy. Cardiovascular Ailments in India Present Epidemiology and Future Instructions. Circulation. Quantity 133, Challenge 16, 19 April 2016; Pages 1605-1620. Accessible on-line at https://www.ahajournals.org/doi/epub/10.1161/CIRCULATIONAHA.114.008729
3. Tan S-T, Scott W, Panoulas V, Sehmi J, Zhang W, Scott J, Elliott P, Chambers J, Kooner JS. Coronary coronary heart illness in Indian Asians, International Cardiology Science and Apply 2014:4. Accessible on-line at
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4104373/pdf/gcsp-2014-013.pdf
4. Loyola College Well being System. In India, one in 25 folks have a gene that causes coronary heart failure. ScienceDaily, 10 June 2010. Accessible on-line at https://www.sciencedaily.com/releases/2010/06/100608092112.htm#:~:textual content=Summarypercent3A,newpercent20treatmentspercent20forpercent20heartpercent20failure.
5. D. Rawat, V. Dixit, S. Gulati et al. Influence of COVID-19 outbreak on way of life behaviour: A evaluation of research printed in India. Diabetes & Metabolic Syndrome: Scientific Analysis & Evaluations. Quantity 15, Challenge 1, January–February 2021, Pages 331-336 Accessible on-line at
https://www.sciencedirect.com/science/article/pii/S1871402120305336
6. Daghlas et al. Sleep Length and Myocardial Infarction. J Am Coll Cardiol. 2019 September 10; 74(10): 1304–1314. Accessible on-line at https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6785011/pdf/nihms-1535068.pdf
7. Danik and Manson. Vitamin D and Cardiovascular Illness. Curr Deal with Choices Cardiovasc Med. 2012 August ; 14(4): 414–424. Accessible on-line at
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3449318/pdf/nihms403874.pdf
8. A.P. Jain, Ok.Ok. Aggarwal, P.-Y. Zhang. Omega-3 fatty acids and heart problems.Eur Rev Med Pharmacol Sci 2015; 19 (3): 441-445. Accessible on-line at https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/25720716/